मंगलवार, 18 जून 2013

बीटीआईआरटी की ठगी

बीटीआईआरटी इंजीनियरिंग
कॉलेज पर लगे ठगी के आरोप
मनोज शुक्ला                                                                                                    सागर।  बाबूलाल ताराबाई इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एण्ड टेक्नालॉजी (बीटीआईआरटी) इंजीनियरिंग कॉलेज सहित एडीना, ज्ञान सागर, ओजस्विनी आदि कालेजों में ओपन कैम्पस के नाम पर  इंजीनियरिंग छात्रों को ठगने का काम चल रहा है। लेकिन प्रशासन के संरक्षण में सब चल रहा है। सभी कालेज संचालक ऊंची पकड़ रखते है ।  पिछलें दिनो बीटीआईआरटी कॉलेज प्रबंधन ने छात्रों को रुपये दिलवाकर जालसाजों और ठगों के हवाले कर दिया। अंतत: ठगी का शिकार होकर नवीन सागर वापस आ गया। नवीन ने अपने पिता शक्ति खरे के साथ बीटीआईआरटी कॉलेज जाकर डायरेक्टर सत्येन्द्र जैन को समूचे घटनाक्रम से अवगत कराया। परन्तु सत्येन्द्र इस पर संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और चक्कर लगवाते रहे। नवीन ने जब पूर्व में दिये ड्राफ्ट की 20 हजार रुपये की राशि वापस देने की मांग की तो डायरेक्टर ने पीएनबी बैंक का चैक क्रमांक 312808 दे दिया। यह चैक नवीन ने जब बैंक में कैश कराने के लिए लगाया तो बाउंस हो गया। ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीन अलग-अलग तिथियों में हुआ। तीनों बार चैक बाउंस हुए। इसके बाद सत्येन्द्र जैन ने नवीन और उनके पिता को अपने कार्यालय में बुलाकर न केवल अमानवीय व्यवहार किया बल्कि डराया धमकाया। गौरतलब है कि बीटीआईआरटी इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री प्राप्त कई इंजीनियर छात्र हैदराबाद, पूना, दिल्ली, गाजियाबाद सहित अन्य स्थानों पर जाकर ठगी के शिकार हुए हैं। इंजीनियर छात्रों ने प्लेसमेंट एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाये हैं। जिससे कॉलेजों की साख पर बट्टा लगा है।
                         यह खुलासा डीडी नगर सागर निवासी नवीन खरे से उसके साथ की गई धोखाधड़ी का किया है। जालसाजी और धोखाधड़ी  प्लेसमेंट कंपनी द्वारा की गई है उस पर हम लोगों ने भरोसा इसलिए किया था कि कैम्पस का आयोजन बीटीआईआरटी परिसर में किया गया है। हम लोगों से पहले प्रबंधन की भी जिम्मेदारी होती है कि संस्था में आने वाली ऐसी प्लेसमेंट कंपनियों की ठीक से पड़ताल करले। बीटीआईआरटी इंजीनियरिंग कॉलेज में जितने भी ओपन कैम्पस में छात्रों का चयन किया गया है उनमें से अधिकांश छात्र ठगी का शिकार हुये हैं। करीब सौ छात्र हैदराबाद, पूना, दिल्ली सहित अन्य स्थानों से धोखाधड़ी का शिकार होकर वापस  आ गये हैं। लेकिन डायरेक्टर सत्येन्द्र जैन पर आरोप है कि  कैम्पस सिलेक्शन में प्लेसमेंट कंपनिया के दलालों के साथ मिलकर लूट रहे हैं।  
                       नवीन की ओर से अधिवक्ता आरपी खरे ने बीटीआईआरटी कॉलेज के डायरेक्टर सत्येन्द्र जैन, ज्वाला शिक्षक एवं ट्रेनिंग व प्लेसमेंट सेल के अन्य लोगों को रजिस्टर्ड नोटिस भी भेजा है। इस नोटिस के माध्यम से अधिवक्ता ने डायरेक्टर सत्येन्द्र जैन सहित अन्य को अवगत कराया है कि उनके पक्षकार  ने इस संस्थान से वर्ष 2012 में ईसी ब्रांच से बीई की डिग्री प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। ठगी का शिकार हुए इस संस्था के इंजीनियर छात्रों का कहना है कि कॉलेज में होने वाले ओपन कैम्पस में नौकरी देने का झांसा देने वालों के कारनामें चिट फंड कंपनियों से भी बद्तर हैं। इस ठगी से केवल सागर के एक-दो नहीं सैकड़ों छात्र प्रभावित हुये हैं। ऐसे कैम्पस आयोजित करने वाले ठग सागर के अलावा दमोह, भोपाल, जबलपुर सहित अन्य जिलों में जाकर अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं। इन ठगों का निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रबंधकों से मिलीभगत रहती है। नवीन खरे का कहना है कि जो चेक बाउंस हुये हैं वह प्लेसमेंट कंपनी के एचआर अर्पित चौहान के नाम पर हैं। अर्पित चौहान ही यहां कैम्पस का आयोजन करने आया था और सिलेक्शन के   बाद वही अपने साथ गाजियाबाद ले गया था। गाजियाबाद पहुंचने पर अर्पित चौहान हम लोगों को दलाल की भांति कसाई के हवाले करके अपना कमीशन लेकर चम्पत हो गया था।

               कॉलेज में 20 जुलाई 12 को ओपन कैम्पस शिविर लगाया गया था। इस शिविर में नवीन खरे का चयन ओलम्पेड स्टडी में माइग्रेशन इंजीनियर के पद पर इस शर्त पर किया गया था कि 26 जुलाई 12 से तीन माह का प्रशिक्षण रहेगा। परीक्षा के दौरान उसे 8000 रुपये, भोजन, मोबाइल एवं एसीसी दिया जायेगा। परन्तु ज्वाइन करने से पहले 20 हजार रुपये का ड्राफ्ट जमा करना होगा। प्रशिक्षण समाप्त होने पर 12 हजार रुपये सहित अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। प्रबंधन और कैम्पस आयोजित करने वालों के इसी झांसे में आकर नवीन ने 20 हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट संबंधितों के पास जमा कर दिया। नवीन जब ओपन कैम्पस में चयनित स्थल सााहिबाबाद इंडस्ट्रीयल ऐरिया गाजियाबाद पहुंचा तो वहां फर्जीबाड़ा नजर आया।  कंपनी परिसर मेें किसी प्रशिक्षण प्राप्त करने जैसा माहौल नहीं था। 19 सितम्बर 12 को कंपनी बंद कर  मालिक कहीं बाहर चले गये । इस अवधि में नवीन गाजियाबाद में ही रुका रहा।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें