बुंदेली को राष्ट्र भाषा बनाने
लोकसभा में विधेयक प्रस्तुत
सांसद भूपेन्द्र सिंह ने पेश किए चार विधेयक
सागर।
सागर संसदीय क्षेत्र के सांसद भूपेन्द्र सिंह ने बुन्देली भाषा को भारत के
संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए अशासकीय विधेयक लोकसभा में
प्रस्तुत किया है। सांसद श्री सिंह इसके पूर्व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सूचना का अधिकार
अधिनियम और मनरेगा अधिनियम में संशोधन कराने के लिए तीन अशासकीय विधेयक लोकसभा में
प्रस्तुत कर चुके हैं।
इस शीतकालीन सत्र में संसद की कार्रवाई में
बुन्देली भाषा सहित चारों विधेयक पुरस्थापित करने हेतु शामिल किए गए हैं। बुन्देली
भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु प्रस्तुत विधेयक में सांसद
भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि भारत एक बहुभाषी देश है और संविधान की आठवीं
अनुसूची में 22 भाषाओं को राष्ट्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता दी गई है। ये
भाषाएँ क्षेत्र विशेष की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह दुर्भाग्य है कि
मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुन्देलखंड क्षेत्र में करोड़ों लोगों द्वारा बोली
जाने वाली बुन्देली भाषा को अभी तक संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया
गया है। बुन्देली भाषा अपने अस्तित्व और गरिमा को बनाए रखने के लिए कठिन संघर्ष कर
रही है।
विधेयक में लेख है कि किसी भी समाज या देश का वैभव उसकी भाषा में रचे गए
साहित्य से पहचाना जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए, बुन्देली भाषा के
इतिहास पर दृष्टिपात करें तो महाकवि जगनिक द्वारा लिखा गया महाकाव्य आल्हखंड
बुन्देली में ही लिखा गया था। चन्देलकाल के आगमन से बुन्देली का प्रारंभ माना जाता
है। तात्पर्य यह है कि बुन्देली भाषा बोलचाल और लेखन में दो हजार वर्ष पहले भी थी।
तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस बुंदेली शब्दों से भरी हुई है। मध्यप्रदेश और
उत्तरप्रदेश में फैले वृहद बुन्देलखंड क्षेत्र की मातृभाषा बुंदेली है।
सागर, जबलपुर, ग्वालियर, होशंगाबाद और भोपाल संभाग सहित उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती
जिलों में करीब 187934 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बुंदेली भाषा बोलने वालों की
संख्या वर्तमान में लगभग 5 करोड़ है। इसी वर्ष 24 फरवरी 2012 को मध्यप्रदेश
विधानसभा ने सर्व सम्मति से अशासकीय संकल्प पारित कर बुंदेली भाषा को संविधान की
आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध भारत सरकार को भेजा है।अत: वृहद भूभाग में
फै ले बुन्देलखंड क्षेत्र की जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए बुन्देली भाषा
को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर राष्ट्रभाषा का दर्जा और सम्मान प्रदान
करना चाहिए। तभी बुन्देली भाषा के साथ-साथ लोकनृत्यों, लोकगीतों, लोक प्रथाओं और अन्य
सांस्कृतिक धरोहरों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा।
संघ एवं निगम प्रशासन के बीच वार्ता
सागर। नगर निगम एवं
कर्मचारी संघ के मध्य नियमितीकरण को लेकर आयुक्त सूर्यभान सिंह एवं संघ के सदस्यों
के मध्य आयुक्त कक्ष में संपन्न हुई।
वार्ता में कर्मचारी संघ की ओर से प्रकाश चुटेले, रामदास वैध, पुरूषोततम धौलपुरी, राजकुमार बिल्थरिया, माधव प्रसाद कटारे, पूरनलाल अहिरवार, कृष्णकुमार चौरसिया, ने आयुक्त के समक्ष में कर्मचारियों के हित हेतु अपने विचार व्यक्त किए। गत 20 वर्षों से दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत् लगभग 250 कर्मचारियों के नियमितीकरण हेतु चर्चा की गई। चर्चा के
दौरान आयुक्त सूर्यभान सिंह ने कर्मचारियों के नियमितीकरण हेतु समीक्षा हेतु विजय दुबे कार्यपालन यंत्री को समिति का अध्यक्ष बनाया
गया। समिति का गठन स्थापना शाखा से अलग होकर कार्य करेगी जिसमें उक्त समिति का
दायित्व होगा कि नियमितीेकरण से संबंधित कार्य को पूर्ण करे।
पांच सदस्य नगर निगम प्रशासन एवं पांच
सदस्य कर्मचारी संघ की ओर से नियुक्त किए जाऐंगे। समिति 10 से 15 दिवस के अंदर अपनी
रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी उसके तत्काल बाद नियमितीकरण कर दिया जाएगा। समिति की
कार्यवाही की समीक्षा स्वयं आयुक्त प्रत्येक दूसरे दिन करेंगे। नियमितीकरण उपरांत
जो कर्मचारी शेष रह जाऐंगे उनकी आवश्यकता की पुष्टि परिषद से कराकर पद स्वीकृत
कराने की कार्यवाही शासन स्तर से की जाएगी। पद स्वीकृति उपरांत उनका भी नियमितीेरण
किया जाएगा। जो कर्मचारी स्वेच्छा से प्रकरण न्यायालय से वापिस कराकर भी
नियमितीकरण प्रक्रिया में शामिल किया जा सकेगा।