रविवार, 18 नवंबर 2012

उपेक्षा


बुंदेलखंड पैकेज में १४ करोड़ खर्च फिर भी नहीं बन सकें डेम

सागरपिछले तीन वर्षों के दौरान 68 में से 40 स्टॉप डेम अभी भी नहीं बन पाए है। महज 28 स्टॉप डेम ही बन सके हैं। स्टॉप डेम बना कर बहने वाले पानी को रोकने की कोशिश तीन साल बाद भी अधूरी है।

 जबकि पैकेज के 31 करोड़ रुपए फंसे हैं। शेष 40 स्टॉप डेम कब बनेंगे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा से जुड़े अफसर बताने की स्थिति में नहीं हैं। लगभग दर्जन भर ठेकेदार  जो निर्माण  जुड़े है उनमें स्वतंत्र ग्रुप नेहानगर, सीबीएस कंस्ट्रक्शन कंपनी, मातोश्री कंस्ट्रक्शन कंपनी, महाराजा एसोसिएट, मनोज सिंघई खुरई, बसंत कुमार मिश्रा, जिनेंद्र कुमार जैन, पवन देव कंस्ट्रक्शन कंपनी, सांवरिया कंस्ट्रक्शन शामिल है। लेकिन इन ठेकेदारों से अफसर से साँठ-गांठ है,इसलिए इनके खिलाफ वे कुछ बोलने से कतराते है। यही नहीं अधिकारी स्पष्टरूप से ठेकेदारों के साथ खड़े हैं । वे कहते है कि स्टॉप डेम का निर्माण तय अवधि में पूरा नहीं हो पाया है। इसमें निर्माण एजेन्सी का कोई कसूर नहीं है। जबकि ज्यादा मुनाफा पाने के लालच में कई स्टॉप डेम बनवाने का काम अपने हाथों में ले तो लिया, लेकिन कई ठेकेदार अब तक एकाध स्टॉप डेम ही बना पाए हैं, तो कुछ ठेकेदार दो स्टॉप डेम बनाने में सफल हो गए हैं। 22 स्टॉप डेम का काम जब ठेकेदारों ने डेढ़ साल तक शुरू नहीं किया, तब ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री ने उनका निर्माण दूसरे ठेकेदारों से कराने का फैसला लिया। नए सिरे से स्वीकृत इन स्टॉप डेम पर अब तक 1363 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।  

बुंदेलखंड पैकेज में १४ करोड़ खर्च फिर भी नहीं बन सकें डेम

सागरपिछले तीन वर्षों के दौरान 68 में से 40 स्टॉप डेम अभी भी नहीं बन पाए है। महज 28 स्टॉप डेम ही बन सके हैं। स्टॉप डेम बना कर बहने वाले पानी को रोकने की कोशिश तीन साल बाद भी अधूरी है।

 जबकि पैकेज के 31 करोड़ रुपए फंसे हैं। शेष 40 स्टॉप डेम कब बनेंगे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा से जुड़े अफसर बताने की स्थिति में नहीं हैं। लगभग दर्जन भर ठेकेदार  जो निर्माण  जुड़े है उनमें स्वतंत्र ग्रुप नेहानगर, सीबीएस कंस्ट्रक्शन कंपनी, मातोश्री कंस्ट्रक्शन कंपनी, महाराजा एसोसिएट, मनोज सिंघई खुरई, बसंत कुमार मिश्रा, जिनेंद्र कुमार जैन, पवन देव कंस्ट्रक्शन कंपनी, सांवरिया कंस्ट्रक्शन शामिल है। लेकिन इन ठेकेदारों से अफसर से साँठ-गांठ है,इसलिए इनके खिलाफ वे कुछ बोलने से कतराते है। यही नहीं अधिकारी स्पष्टरूप से ठेकेदारों के साथ खड़े हैं । वे कहते है कि स्टॉप डेम का निर्माण तय अवधि में पूरा नहीं हो पाया है। इसमें निर्माण एजेन्सी का कोई कसूर नहीं है। जबकि ज्यादा मुनाफा पाने के लालच में कई स्टॉप डेम बनवाने का काम अपने हाथों में ले तो लिया, लेकिन कई ठेकेदार अब तक एकाध स्टॉप डेम ही बना पाए हैं, तो कुछ ठेकेदार दो स्टॉप डेम बनाने में सफल हो गए हैं। 22 स्टॉप डेम का काम जब ठेकेदारों ने डेढ़ साल तक शुरू नहीं किया, तब ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री ने उनका निर्माण दूसरे ठेकेदारों से कराने का फैसला लिया। नए सिरे से स्वीकृत इन स्टॉप डेम पर अब तक 1363 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।