बुंदेली दुनिया का विमोचन समारोह
संपादक ऐसा हो जो मूल्यों के लिए तैयार रहे  मरने-मिटने 
सागर।  प्रभाष जोशी संपादक
 नहीं संस्था थे। उनके  जाने के  बाद पत्रकारिता में संपादकीय परंपरा के  गौरवशाली अतीत का भी अवसान हो गया। उन्होंने ऐसे
मापदंड स्थापित किए जो उन्हें  महान संपादक
की श्रेणी में लाते हैं। संपादक  ऐसा होना
चाहिए जो मूल्यों के  लिए मरने-मिटने  तैयार रहे। 
इंक  मीडिया स्कूल ऑफ जर्नलिज्म में प्रभाष जोशी की  पुण्य तिथि और बुंदेली दुनिया के  विमोचन समारोह के  दौरान साहित्यकार रमेश दत्त दुबे ने यह बात कही।
मुख्य वक्ता प्रो. सुरेश आचार्य, पत्रकार
दीनदयाल बिलगैंया ने उए भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रो. गोविंद प्रसाद गुप्ता, मनोज शुक्ला, डॉ. अशोक पन्या, प्रभात तिवारी सहित संस्थान के  प्रशिक्षु पत्रकार मौजूद थे। संचालन डॉ. आशीष विवेदी
ने किया एवं आभार बुंदेली दुनिया के संपादक  संतोष गौतम
ने माना। 
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