अनुसूचित जाति की महिला,सहती है अपमान
के घूट
पंचायत
मंत्री भार्गव ने
कमाएं
करीब दो करोड़
मनोज शुक्ला
सागर। म प्र के पंचायत मंत्री गोपाल
भार्गव अनेक वर्षों से अपने पद का बेजा लाभ उठा रहे है। मंत्री प्रदेश के हैं
लेकिन सभी आयोजनों का केंद्र उनका विधान सभा क्षेत्र रहली ही रहता है। हालत यह है
कि अकेले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में ही वे करीब दो करोड़ का लाभ कमा चुके हैं।
साथ ही नगर पालिका गड़कोटा के मूल आयोजन पर काबिज हैं जिससे कन्यादान की आड में
अपनी जीत का रास्ता बना लेते हैं। चूंकि नगर पालिका अध्यक्ष अनुसूचित जाति की महिला है, इसलिए वर्षों
से वह अपमान का घूट पीकर रह जाती है। दूसरी ओर उपाध्यक्ष सवर्ण जाति के है इसलिए
उन्हे तब्ब्जो दी जाती है।
गौरतलब है कि 28 मई 2013 को
मुख्यमंत्री के सामने समूहिक विवाह होते रहे और उन्हे भी कोई आपत्ति नहीं रहीं, जिससे लगता है
कि वे भी दलित महिला के अपमान में भागीदार हैं। पंचायत मंत्री के अनुसार 12हजार
विवाह करा चुके हैं। इस बार उनका संकल्प है कि 2100 विवाह कराएंगे। लेकिन उनके इस
दावे का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि लक्ष्य कि पूर्ति नगर पालिका के खाते में गिनी
जाति है। फिर भी मंत्री पद का रुतबा उनके फर्जी दावों पर पर्दा डालकर रखे है। यही
नहीं इस आयोजन की आड में अपने समर्थकों को लूटने में कोई कसर नहीं छोडते हैं।
उजागर नहीं होने देते गलतियाँ
मीडिया को पूरे-पूरे पेज के विज्ञापन देकर अपनी गलतियों को उजागर नहीं होने
देते हैं। इनमें भी दलाली का खेल चल रहा है।
जिन अखबारों का अस्तित्व नहीं है उन्हें विज्ञापन और जिन्हे मिलना चाहिए
उनका पत्ता दलाल साफ करा देते हैं। मंत्री वैसे कितने सक्षम है यह इसी बात से पता
चलता है की जबरन पंचायत और सामाजिक न्याय से विज्ञापन दिलाया। फलस्वरूप पिछले वर्ष
का भुगतान लंबित है, फिर भी वे अपने ही विभाग
के अधिकारियों का कुछ नहीं बिगाड़
सके हैं। जबकि इस बार 20लाख से अधिक का बजट है पिछले वर्ष भी करीब-करीब इतना ही
बजट था।
बिना
आर ओ के ही प्रकाशन
इस बार भी विभाग की ओर से कोई भी आर ओ जारी नहीं किया गया है। यदि असली आर
ओ जारी होता तो नियमानुसार विज्ञापन माध्यम
जारी होता लेकिन यहाँ तो बिना आर ओ के ही प्रकाशन करा दिया है। सामाजिक
न्याय के उपसंचालक से जब 27 मई की रात में संपर्क किया तो उन्होने स्पष्ट कहा था
कि उन्होने कोई विज्ञापन जारी नहीं किया है। इसके अलावा मंत्री योजना से अधिक दहेज
देकर दहेज प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी लालच में योजना का लाभ वास्तविक गरीब,निर्धन, विधवा आदि
हितग्राहियों को नहीं मिल रहा है। पंजीयन नगर पालिका के बजाय मंत्री की टाकीज़ में
करके लाभान्वितों कि वास्तविकता को छुपाया जाता है। लेकिन दबंग नेता के खिलाफ मोर्चा कौन खोले यह यक्ष प्रश्न
वर्षों से मौन खड़ा है।
कांग्रेस
की चरण वंदना
कांग्रेस जैसा विपक्षी दल भार्गव की चरण वंदना में लगा है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कुछ दिनों
पहले रहली विधान सभा को गोद लेने की घोषणा की थी। फिर भी वे यहाँ की कारगुजारियों
से किनारा किए हैं। इस बेखबरी के बाद भी यह सीट जीतने की कांग्रेस तमन्ना रखती है।
सत्ता के विकेन्द्रीकरण का नाम पंचायत
प्रणाली है, सामाजिक न्याय अपने आप में स्पष्ट है लेकिन गोपाल भार्गव
ने परिभाषाएँ बादल दी है। दोनों ही विभागों में नियम विरुद्ध कम चल रहे हैं।
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