गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

प्रशासन की रोशनी: :टीम बुंदेलखंड



टीम बुंदेलखंड: सर्वहारा वर्ग के असली जनसेवक आयुक्त माथुर

अलख जगाने में जुटे हैं भलाई के लिए

दरिद्र नाराययन की  सेवा के लिए  ही टीम बुंदेलखंड


मनोज शुक्ला

“आयुक्त श्री माथुर शासन के साथ-साथ शासन की कल्याणकारी योजनाओं का भी दर्पण बनकर सरकार की रोशनी दूर-दराज के इलाकों में जरूरतमंदों तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं जो साधुवाद के लायक है। गौरतलब है कि टीम बुंदेलखंड संभाग के  सागर, पन्ना,टीकमगढ़, छतरपुर दमोह  जिलों में आगे आयें लाभ उठाएँ की तर्ज पर अलख जागा रही  है।“
ग्रामीण क्षेत्रों में रात्री चौपल लगाकर  कर रहे है समस्याएँ हल 

सागर। सागर जब से संभागीय मुख्यालय बना है, तब से बहुत कम ऐसे संभाग आयुक्त मिले हैं। जिनमें संवेदनशीलता,जनसेवा, सर्वहारा वर्ग की चिंता के साथ असली जनसेवक बनाने की ललक दिखाई दी है। लेकिन यह ललक आयुक्त आरके माथुर में समा चुकी है,वे इस वंचित वर्ग की भलाई के लिए अलख जगाने में जुटे हैं।

        गौरतलब है कि  उनमें  मेरे पत्रकारिता अनुभव के इन 28 वर्षों में गिनती के संभाग आयुक्त देखने मिलें हैं। पत्रकारिता के शुरुआती दौर में सबसे पहले वर्ष 87-88 में विनोद वैश्य से मिलने का मौका मिला,पहले से कोई परिचय नहीं था फिर भी उन्होने एक पीड़ित महिला की व्यथा को गंभीरता से समझा तत्काल मेरे कहने पर कार्रवाई कराई। अब ऐसा देखने नहीं मिलता है,अब केवल बड़े-बड़े लोगों की सिफारिश पर गौर किया जाता है। फिर मिले पी राघवन जिनमें भी संवेदनशीलता कूट-कूटकर  भरी थी वे तो इतने संवेदनशील थे कि पत्र पर कार्रवाई कर देते थे यही नहीं कई बार तो अपने अधिनस्थों से फोन कराके पूँछ लेते थे कि करना क्या है।ऐसा  तो अब असंभव सा लाग्ने लगा है।

       यही नहीं उन्होने अपने सागर कलेक्टर कार्यकाल में भी जो किया वह अविस्मरणीय है एक घटना हुई जिसमें कोतवाली थाने में पीड़ित की रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी ऐसे में मेरे कहने पर पीड़ित ने कलेक्टर से शिकायत का मन बना लिया।  समस्या यह थी कि उस समय रात के 11 बज चुके थे। फिर भी मैं पीड़ित को लेकर कलेक्टर निवास पहुँच गया,वे तत्काल अपनी गाड़ी में  बैठाकर थाने आ धमके और समस्या  हल। ऐसे कलेक्टर की अब तो केवल किसी फिल्म में ही कल्पना की जा सकती है। कलेक्टर और कमिश्नर रहे बी आर नायडू को भी संवेदनशील कहते है लेकिन उनसे खास संपर्क का अवसर नहीं मिला उनकी संवेदनशीलता का यहाँ के नेताओं और अन्य ने नाजायज फायदा उठा लिया। तालाब सफाई के बहाने वे इमोशनल अत्याचार के  शिकार हो गए।

         जो उस दौरान उनके अभियान में शामिल थे आज तालाब की संजय ड्राइव के आगे लाखों के बारे न्यारे करने में लगे है। संजय ड्राइव उन नेताओं,बिल्डरों, ठेकेदारों को आज वरदान साबित हो रही है क्योंकि इससे उनकी कमाई के द्वार खुल गए इसलिए वे लोग आज भी सागर लाखा बंजारा झील के नाम पर जनता को गुमराह करने में लगे हैं। ऐतिहासिक का राग आलाप कर अपने-अपने स्वार्थ में लगे हैं। जबकि लाखा बंजारा ने यह तालाब पशुओं को प्यास बुझाने बनवाया था। फिर भी राजनीतिबाज अपने गोरखधंधे में लगे है,समय बदला ऐसे संवेदनशीलों का दौर रुक सा गया। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका जनसम्पर्क विभाग ने निभाई अब आईएएस इनकी उँगलियों पर नाचने लगे हैं। इसलिए वे अपने चश्मे का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। यही वह कारण जिससे आइएएस की संवेदनशीलता प्रभावित  हो गयी है,हालांकि कुछेक अपवाद निकल आते हैं जो अपने विचार और अपनी समझ पर काम करने का माद्दा रखते हैं। उनमे इस दौर के बाद भी कुछ अरसे पहले तक एसके वेद शामिल रहे हैं उनकी नजर में अच्छे लिखने वालों की,विचार वालों  को पहचानने की क्षमता थी अपने तरीके से काम करते थे।

पूत के गुण पालना में


         इसके बाद संभाग आयुक्त राजकुमार माथुर ने पिछले वर्ष ज्वाइन किया उन्होने आते ही पूत के गुण पालना में ही दिख जाते है वाली कहावत की झलक दिखला दी थी। धीरे-धीरे उनके विचारों को फलीभूत होते देखने का अवसर मिला। अपनी  कार्यशैली से आमजन को प्रभावित किया,लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना शुरू किया। वे अपने सरकारी निवास पर कुपोषित बच्चों की देखभाल कराते हैं यह इकलौता उदाहरण है किसी कमिश्नर के कार्यकाल का। वे अब लोगों की आस्था के केंद्र बन चुके हैं,जनता उम्मीदें लेकर आती  हैं उन्हें सहजता से हल कर रहे हैं, यदि ऐसे आइएएस जनता को मिलने लगे तो निश्चित तौर पर सर्वहारा वर्ग को बहुत राहत मिलने लगे।

दूर-दराज के इलाकों में रोशनी


         आयुक्त आरके माथुर के अभी कदम रुके नहीं हैं उन्होने एक नई पहल शुरू  की है,जिसका नाम है टीम बुंदेलखंड यह पहल धीरे-धीरे रंग लाने लगी है। करीब एक वर्ष के अनुभव के दौरान  इस पहल का जन्म हुआ है,वह भी सर्वहारा वर्ग की भलाई के लिए यह पहलू उनकी पहल के लिए सार्थक उम्मीदों का भरोसा है क्योंकि शासन की मंशा का आईना ही प्रशासन बनता  है। ऐसे में आयुक्त श्री माथुर शासन के साथ-साथ शासन की कल्याणकारी योजनाओं का भी दर्पण बनकर सरकार की रोशनी दूर-दराज के इलाकों में जरूरतमंदों तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं जो साधुवाद के लायक है। गौरतलब है कि टीम बुंदेलखंड संभाग के  सागर, पन्ना,टीकमगढ़, छतरपुर दमोह  जिलों में आगे आयें लाभ उठाएँ कि तर्ज पर अलख जागा रही  है। वे अपने मोबाइल नंबर के साथ ही टीम बुंदेलखंड के संपर्क नंबरों से जरूरतमंदों तक सेवाओं की पहुँच बनाने में कामयाब हो रहे हैं।

पहल-प्रयास अनुकरणीय 
  
          उनकी टीम में पटवारी,पञ्चायत सचिव,आगनबाड़ी कार्यकर्ता,सहायिका,स्वास्थ्य पर्यवेक्षक पुरुष-महिला एमपीडब्ल्यू जनशिक्षक आशा कार्यकर्ता शामिल हैं। जो सम्पूर्ण ब्लॉक में समन्वय के साथ हितग्राहीमूलक योजनाओं को बखूबी अंजाम तक पहुँचाने में कमिश्नर का साथ सभी निभा रहे हैं। यह पहल- यह प्रयास अनुकरणीय है साथ ही सरकार को ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करने की आज बेहद जरूरत भी है। जिससे जनता तक सरकार के भलाई वाले  उपायों  को सराहा जा सके। कमिश्नर आरके माथुर ने बताया कि गांवों के भ्रमण के दौरान महसूस हुआ कि जन्म से लेकर मृत्यु तक की योजनाओं की जानकारी तो है लेकिन वे  लाभ से वंचित हैं। यही नहीं विभागीय कर्मियों तक को सतही जानकारी का उन्हे एहसास हुआ तब वे चिंतित हुये फलस्वरूप टीम बुंदेलखंड बनाने की पहल की है।

          श्री  माथुर का मानना है कि यह टीम जरूरतमंदों को सही राह दिखाएगी,दरिद्रनाराययन कि सेवा के लिए  ही टीम बुंदेलखंड की  यह पहल है। ग्रामीण क्षेत्रों में जनता योजनाओं का लाभ उठा सकें इसलिए उन्होने पहल टीम बुंदेलखंड  सर्वहारा वर्ग के साथ नाम की आकर्षक पुस्तक में इन वर्गों की योजनाओं को सँजोकर पूरे संभाग को परोसा है। इस सराहनीय प्रयास ने उन्हें सच्चे प्रशासनिक अधिकारी की पहचान दिलाई है गर्भवती महिलाएं,नवजात कन्याएँ,खेतिहरमजदूर,निराश्रित विधवाएँ,फेरीवाले,पशुपालक,बेरोजगार बीपीएलपरिवार,श्रमिक,किसान,विकलांग,कामकाजी महिलाएं जैसी 20 श्रेणियों में विभाजित योजनाओं वाली पुस्तक अपने आप में अनेक योजनाओं को सहेजे है। जो हितग्राहियों को लाभ दिलाने में सक्षम साबित हो रही है।