शनिवार, 8 जून 2013

साजिश



एसवीएन की मान्यता सच या अफवाह?
डॉ अनिल तिवारी कुलपति एसवीएन,सागर मप्र 
मनोज शुक्ला
सागर। सागर में इन दिनों जैन लॉबी और ब्राह्मण लॉबी के बीच ठन चुकी है। भाजपा सरकार में बैठे दो मंत्रियों के मतभेद का  खामियाजा एक मात्र ब्राह्मण विवि और इंजीनियरिंग कालेज संचालक डॉ अनिल तिवारी को भोगना पड़ रहा है। पिछले दिनों चार जैन बंधुओं ने पूरे पेज  का विज्ञापन देकर एसवीएन के खिलाफ साजिश  रची। उन्होने केवल अपने कालेजों को असली करार दिया और दूसरी ओर एसवीएन का बिना नाम लिए विज्ञापन प्रकाशित कराया।  फलस्वरूप एसवीएन को भी अपना पक्ष रखना पड़ा।अब भाजपा मंत्री और उनकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल  पत्नी ने बकायदा खिलाफत शुरू कर दी है। इस तरह ब्राह्मण  मंत्री अकेले पड़ गए है। वे अपने समर्थक संचालक की मदद करने में लाचारी महसूस कर रहे है। जबकि अपने आप को सही बताने वाले कालेजों में भी अनेक विसंगतियाँ मौजूद हैं। जिनहे  वे अपनी एकता के दम पर दबाने में कामयाब है।
                बहरहाल सच जो भी हो लेकिन हाल ही में  एक अखबार में प्रकाशित  खबर तो यही बता रही है की एसवीएन की खिलाफत प्रायोजित है। मान्यता रद्द होने की अफवाह से  इनके प्रतिस्पर्धी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के संचालक इन दिनों बेहद खुश नजर आ रहे हैं। हो भी क्यों न क्योंकि पिछले कई वर्षों इन चार निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें खाली रहती थीं। उपलब्ध सीटों के मुकाबले छात्र प्रवेश नहीं लेते थे जबकि एसवीएन  की सीटें देखते ही देखते हाऊसफुल हो जातीं थीं क्योंकि अब इस बार करीब 500 छात्र एसव्हीएन से इतर इन निजी कॉलेजों के कोटे में चले जाएंगे।  स्वामी विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी इंजीनियरिंग कॉलेज सिरोंजा सागर की राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विवि से मान्यता रद्द कर दी गई है। ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है। साथ ही विवि की मानिता पर भी सवाल उठाए जा रहे है। लेकिन संचालक सहमत नहीं है।  दरअसल इसकी वजह यह बताई जा रही है कि एक ही परिसर और भवन में दो अलग अलग विवि से संबद्ध इंजीनियरिंग के दो अलग अलग पाठ्यक्रम संचालित नहीं किए जा सकते। खबर है कि एसवीएन  यूनिवर्सिटी की मान्यता पर भी खतरा मडऱा रहा है। वैसे चिंता का विषय है कि निजी संचालकों कि लड़ाई इस तरह सडक़ों पर उतार आई है।बीते एक दशक से न केवल सागर बल्कि समूचे मप्र सहित अन्य प्रांतों में शिक्षा के क्षेत्र में बुलंदियों पर पहुंचने वाले तिवारी बंधुओं को जमीन दिखाने का काम मप्र के एक कबीना मंत्री की पत्नी सहित निजी कॉलेजों ने कर दिखाया।

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